योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश के मदरसों का सरवे?

 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 1 मार्च 2018 को आयोजित इस्लामिक विरासत विषय के एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि, "पूरी ख़ुशहाली, समग्र विकास तभी संभव हैं जब आप यह देखें कि मुस्लिम युवाओं के एक हाथ में क़ुरान शरीफ़ है तो दूसरे हाथ में कम्प्यूटर है."

 

 

इसी बात को आधार बना कर उत्तर प्रदेश का मदरसा बोर्ड प्रदेश के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की काया पलटने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है.

 

30 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश पारित किया. सरकार ने सभी ज़िलों के डीएम से कहा कि वो ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे करवा कर सरकार को इसकी जानकारी दें.

 

मदरसों के सर्वे के योगी सरकार के आदेश पर राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो गयी.

 

एआईएमआईएम के प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी ने सरकार की इस पहल के बारे में कहा, "मदरसे संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार हैं तो उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया है? यह कोई सर्वेक्षण नहीं है बल्कि एक छोटा एनआरसी है. कुछ मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अधीन हैं. आप क्यों शक़ कर रहे हैं मदरसों पर. राज्य सरकार हमारे अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. वे मुसलमानों को परेशान करना चाहते हैं. आपका मक़सद है इस्लाम को बदनाम करना."

 

आपको यह भी बता दें कि पिछले कुछ दिनों में भाजपा शासित असम से मदरसों पर बुलडोज़र चलने की ख़बरें भी आई हैं. राज्य के बोंगाईं गांव ज़िले में सरकार की ओर से एक मदरसा गिराए जाने की ख़बर सामने आई और बीते कुछ दिनों में राज्य सरकार तीन मदरसे गिरा चुकी है.

 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा का कहना है कि इन मदरसों से चरमपंथी गतिविधियां चलाई जा रही थीं.

 

समाचार एजेंसी एएनआई से असम के एक नेता बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि 2024 के चुनाव नज़दीक हैं. उनके अनुसार मदरसे इसलिए तोड़े जा रहे हैं ताकि मुसलमान 2024 के चुनाव में डर कर बीजेपी को वोट दे दें.

 

इन घटनाओं और भाजपा शासित राज्यों में मदरसों से जुड़े आदेशों से बने माहौल के बाद मदरसों में मिलने वाली तालीम और आज के ज़माने में शिक्षा में उनकी भूमिका एक बार फिर से चर्चा में है.

 

हमने उत्तर प्रदेश के कुछ मदरसों में जाकर यह जानने की कोशिश की कि योगी आदित्यनाथ की सरकार के मदरसों में सुधार और आधुनिकीकरण की ज़मीनी हक़ीक़त क्या है?

 

क्या कहता है मदरसों के सर्वे का आदेश?

 

सबसे पहले यह समझने की कोशिश करते हैं कि आख़िरकार योगी सरकार मदरसों का सर्वे करा कर क्या हासिल करने का दावा कर रही है.

 

बीबीसी को मिली सरकारी आदेश की कॉपी के मुताबिक़ प्रदेश के सभी ज़िलों के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कर एक निर्धारित समय सीमा में एक निर्धारित फ़ॉर्मेट में सरकार को डाटा देने को कहा गया है.

 

सर्वे में ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के संचालन करने वाली संस्था, मदरसे की स्थापना की तारीख़, उसका स्टेटस (निजी या किराए के घर में चल रहा है), मदरसे में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की सुरक्षा, पानी, फ़र्नीचर, बिजली, शौचालय के इंतज़ाम की जानकारी, छात्र- छात्राओं की कुल संख्या, शिक्षकों की संख्या, वहां पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम, मदरसे की आय का स्त्रोत, अगर छात्र किसी अन्य जगह भी पढ़ रहे हैं तो उसकी जानकारी, और अगर सरकारी समूह या संस्था से मदरसों की संबद्धता है तो उसका विवरण देने को कहा गया है.

 

10 सितंबर 2022 तक सभी ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के लिए टीम का गठन होना है.

 

सर्वे का काम पांच अक्टूबर 2022 को पूरा होना है और सभी डीएम 25 अक्तूबर तक सर्वे का डाटा उत्तर प्रदेश शासन को उपलब्ध कराएंगे.

 

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