Jumma ka khutba sirf arbi me hi kyu padhte hai ? | जुम्मा का खुत्बा सिर्फ अरबी में ही क्यों पढ़ते है ?

 


Juma Ka Khutba Arabi Me Hi Kyo Padhte Hai :

जुमे के ख़ुतबे में उर्दू अश़आर पढ़ना: 

जुमे का ख़ुतबा सिर्फ़ अ़रबी ज़बान में पढ़ना सुन्नत है। किसी और ज़बान में ख़िलाफ़े सुन्नत। उर्दू अश़आर अगर पढ़ना हों तो वह अज़ाने ख़ुतबा से पहले पढ़ लिये जाएं। दूसरी अज़ान के बाद जो ख़ुतबा पढ़ा जाता है यह अ़रबी के अलावा और किसी ज़बान में पढ़ना सुन्नत के ख़िलाफ़ है।

(फ़तावा रज़विया, जिल्द- 3, सफ़ह- 751)


इमाम का मेहराब में या दो सुतूनों के दरमियान खड़ा होना :

कहीं-कहीं देखने में आता है कि इमाम मेहराब में अन्दर है और मुक़्तदी बाहर यह ख़िलाफ़े सुन्नत और मकरूह है।सदरुश्शरीआ़ मौलाना अमजद अली साहब अलैहिर्रहमा फ़रमाते हैं 👇🏻👇🏻👇🏻

इमाम को तन्हा मेहराब में खड़ा होना मकरूह है और अगर खड़ा हो सिर्फ़ सज्दा मेहराब में किया या वह तन्हा न हो बल्कि उसके साथ कुछ मुक़्तदी भी मेहराब में हों तो कुछ हर्ज नहीं, यूंही अगर मुक़्तदियों पर मस्जिद तंग हो तो भी मेहराब में खड़ा होना मकरूह नहीं है। इमाम को दरों में खड़ा होना भी मकरूह है।

(बहारे शरीअ़त, हिस्सा- सोम, सफ़ह- 174, ब'हवाला दुर्रे मुख़्तार व आलमगीरी)

इसका तरीक़ा यह है कि इमाम का मुसल्ला थोड़ा पीछे हटा दिया जाए और वह थोड़ा पीछे हटकर इस तरह खड़ा हो कि देखने में महसूस हो कि वह मेहराब या दरों में अन्दर नहीं है बल्कि बाहर खड़ा है फिर चाहे सज्दा अन्दर हो, नमाज़ दुरूस्त हो जाएगी।

📚 (ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह-हिन्दी, सफ़ह- 37)

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